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शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

GURU GORKHANATH HATH YOG KA VISTAR

हठयोग शारीरिक और मानसिक विकास के लिए विश्व की प्राचीनतम प्रणाली है 

जिसका शताब्दियों से भारत के योगियों द्वारा अभ्यास किया गया है। मनोकायिक व्यायामों की यह एक अनन्यतम विधि है।

 हठयोग के आसन मानसिक प्रशांति, शारीरिक संतुलन और दिव्य प्रभाव के साथ प्रतिपादित होते हैं।

 इससे मेरुदंड लचीला बनता तथा स्नायु संस्थान के स्वास्थ्‍य में वृद्धि होती है। 

योगासनों से स्नायओं के मूल का आंतरिक प्राणों द्वारा पोषण होता है। 

अतएव योगासन अन्य व्यायामों से पृथक है। हठयोग के नियमित अभ्यास से आप अपना खोया हुआ 

स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। आत्मा की गुप्त शक्तियों को उद्घाटित कर अपनी संकल्पशक्ति में वृद्धि कर सकते हैं 

और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर आत्मसाक्षात्कार के उत्कृष्ट शिखर पर आसीन हो सकते हैं। 

हठयोग के आसन मन एवं शरीर के सूक्ष्म संबंध के पूर्ण ज्ञान पर आधारित एक अद्धभुत मनोशारीरिक व्यायाम प्रणाली है।
'हठ' शब्द की रचना 'ह' और 'ठ' दो रहस्यमय एवं प्रतीकात्मक अक्षरों से हुई है। 

'ह' का अर्थ 'सूर्य' और 'ठ' का अर्थ 'चंद्र' है। योग का अर्थ इन दोनों का संयोजन या एकीकरण है।

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