Hanuman Sammohan Mantra
हनुमान के वशीकरण मंत्रों की साधना से चमत्कारी प्रभाव हासिल किए जा सकते हैं। इन मंत्रों को गुरु के दिशा-निर्देश के अनुसार ही उपयोग में लाया जाता है। साथ ही इनका इस्तेमाल सही और उद्देश्यपूर्ति के लिए निःस्वार्थभाव से किया जाना चाहिए। हनुमान को भगवान शिव के ही एक अवतार हैं और उनको भगवान श्रीराम के दूत के रूप में भी जाना जाता है। उनके वशीकरण मंत्र से किसी को भी वश में किया जा सकता है, क्योंकि इसे दिव्य और सर्वाधिक शक्तिशाली मंत्र कहा गया है।
Hanuman Sammohan Mantra |
जो कोई भी साधक हनुमान वशीकरण मंत्र साधना एवं सिद्धि का प्रयोग करता है वो कोई भी कार्य को बहुत जल्दी ही पूर्ण कर सकता है| बजरंगबली और महाबली के नामों से पुकारे जाने वाले पवनपुत्र रूद्रावतार हनुमान में अपार शक्तियां और चमत्कारी क्षमताएं निहित हैं। उनके प्रति लोगों का यही विश्वास और भक्ति आस्थावान बनाता है, तो उनके मंत्रों के जाप से अद्भुत ऊर्जा का एहसास होता है। वे न केबल खुद को काफी सबल महसूस करते हैं, बल्कि जीवन में हर मोड़ पर सफलता की सीढ़ियां आसानी से चढ़ लेते हैं और राह में आने वाली तमाम बाधाओं को भी दूर कर लेते हैं। और तो और, संकट या मुसीबत की घड़ी में इनके मंत्र काफी अचूक असर वाले होते हैं। ज्योतिषीय उपायों में भी हनुमान के मंत्रों के जाप से शनि की नुकसानदायक दशा को ठीक किया जा सकता है।
बजरङग वशीकरण मन्त्र
“ॐ पीर बजरङ्गी, राम लक्ष्मण के सङ्गी।
जहां-जहां जाए, फतह के डङ्के बजाय।
‘अमुक' को मोह के, मेरे पास न लाए, तो
अञ्जनी का पूत न कहाय।
दुहाई राम-जानकी की।”
विधि - 11 माला 11 दिनों तक, उक्त मन्त्र का जप करके इसे सिद्ध कर ले। शुभ दिन है ‘हनुमान-जयन्ती’ या ‘राम-नवमी’ । दूध निर्मित पदार्थ या दूध पर प्रयोग के समय 11 बार मन्त्र पढ़कर पिला या खिला देने से, वशीकरण पका होगा।
स्त्री वशीकरण
कुछ मंत्र हनुमान शाबर मंत्र के रूप में प्रचलित है, जो बोलचाल की भाषा में लिखे गए हैं। उन्हें गुरु गोरखनाथ और नवनाथ ने गहन सिद्धियों के बाद सामान्य लोगों के सहज इस्तेमाल के लिए वर्णित किया है। पर पुरुष के आकर्षण में बंधी या नाराज चल रही पत्नी या प्रेमिका को अपने प्रेम के वश में करने के लिए नीचे दिए गए शाबर मंत्र का शुभ योग में 1008 बार जाप किया जाना चाहिए। इसका तुरंत व अद्भुत लाभ मिलता है।
मंत्रः
ऐ भग भगे भगनि भगोदरि भगमाले योनि भोगनि पतिन सर्व भग संकरी,
भाग रूपे नित्य क्ले भागस्वरूपे सर्वभगिनी में वश मान्य वर देरते सुरेते।
भगलिकने क्लीं न द्रवे क्लेदय द्रवय अमोघे भग विधेषुभ षोभय सर्व,
सत्वा भगेश्वरी ऐं कलं जं ब्लूं भें ब्लूं मोब्लूं हे हे कीलने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा!!
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