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गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025

देवी-देवताओं से बातचीत

देवी-देवताओं से बातचीत करने का आसान तरीका – आध्यात्मिक अनुभव पाने की सच्ची विधि

मिट्टी के मटके और नारियल के माध्यम से देवी-देवताओं या किसी शक्ति से संवाद करने की — यह एक आध्यात्मिक प्रयोग (spiritual practice) के रूप में कही जा सकती है। नीचे मैं इसे सरल और सुरक्षित रूप में समझा रहा हूँ ताकि आप इसे सही दृष्टिकोण से समझ सकें।


 देवी-देवताओं या शक्तियों से बातचीत का अर्थ

देवी-देवताओं से “बातचीत” का अर्थ शाब्दिक आवाज़ सुनना नहीं होता।
यह अधिकतर ध्यान (meditation) और आंतरिक अनुभूति (inner feeling) के माध्यम से होता है। जब मन बहुत शांत होता है, तो हमारे भीतर से ही उत्तर आने लगते हैं — यही हमारे इष्ट या ईश्वरीय शक्ति की प्रेरणा मानी जाती है।


 यदि आप मटका और नारियल का प्रयोग करना चाहते हैं

यह केवल आस्था-आधारित प्रतीकात्मक प्रयोग है। इसे इस प्रकार कर सकते हैं:

  1. मिट्टी का शुद्ध मटका लें — जिसमें पानी न भरा हो।

  2. नारियल को लाल कपड़े में लपेटें और उसे मटके के ऊपर रखें।

  3. शांत और पवित्र स्थान पर बैठें।

  4. दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

  5. आँखें बंद करके अपने इष्ट देव या देवी का स्मरण करें।

  6. मन में या धीरे-धीरे बोलकर अपने प्रश्न रखें।

  7. उत्तर के लिए मन को शांत करें। कुछ क्षण बाद जो विचार, संकेत या अनुभूति भीतर से आए — वही आपका उत्तर माना जा सकता है।


⚠️ सावधानी

  • किसी भी प्रकार की “आवाज़” सच में सुनने की अपेक्षा न रखें।

  • यह प्रक्रिया केवल ध्यान और विश्वास का एक तरीका है, न कि कोई वैज्ञानिक रूप से सिद्ध माध्यम।

  • यदि किसी को डर या नकारात्मक अनुभूति हो, तो यह अभ्यास तुरंत रोक देना चाहिए।

  • हमेशा सकारात्मक भाव और प्रार्थना के साथ करें, किसी को नुकसान पहुँचाने या जादू-टोना के उद्देश्य से नहीं।


मटके और नारियल के माध्यम से अपने इष्ट देव या देवी से संवाद का साधना-विधान — इसे सही भावना, शुद्धता और श्रद्धा के साथ करना आवश्यक है। नीचे पूरा विधिवत पूजन-विधान दिया गया है 


मटके और नारियल के माध्यम से देवी-देवता से संवाद का साधना-विधान

🔹 तैयारी

  1. दिन और समय:

    • यह प्रयोग शुक्रवार, सोमवार या पूर्णिमा की रात को करना शुभ माना जाता है।

    • समय: सूर्यास्त के बाद, रात 9 बजे से 11 बजे के बीच।

  2. स्थान:

    • घर का पूर्व दिशा या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) वाला भाग चुनें।

    • उस स्थान को अच्छे से साफ-सुथरा करें।

  3. आवश्यक वस्तुएँ:

    • मिट्टी का एक खाली मटका (बिना पानी वाला)।

    • एक नारियल (ऊपर का रेशा जस का तस रहे)।

    • लाल कपड़ा (नारियल लपेटने के लिए)।

    • रोली, अक्षत (चावल), पुष्प, दीपक, अगरबत्ती।

    • एक छोटा ताम्र या पीतल का कटोरा जल रखने के लिए।

    • अपने इष्ट देव का चित्र या प्रतीक।


🔹 विधान (प्रक्रिया)

  1. स्नान करके शुद्ध होकर बैठें।
    मन को शांत करें और कुछ देर गहरी साँसें लें।

  2. दीपक जलाएँ — घी या तिल के तेल का दीपक सबसे अच्छा होता है।

  3. मटका अपने सामने रखें, उसके ऊपर लाल कपड़े में लिपटा नारियल रखें।
    अब दोनों हाथ जोड़कर अपने इष्ट देव या देवी को सादर नमस्कार करें।

  4. संकल्प लें:
    मन ही मन कहें —

    मैं (अपना नाम) श्रद्धा और विश्वास से अपने इष्ट देव/देवी को स्मरण करता/करती हूँ।
    कृपया मेरी बात सुनें और मेरे जीवन की दिशा दिखाएँ।

  5. मंत्र जप करें (आपके इष्ट के अनुसार):

    • यदि देवी दुर्गा: "ॐ दुं दुर्गायै नमः"

    • यदि भगवान शिव: "ॐ नमः शिवाय"

    • यदि श्रीकृष्ण या विष्णु: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

    • यदि श्री गणेश: "ॐ गं गणपतये नमः"

    • यह मंत्र कम से कम 108 बार जपें।

  6. जप के बाद, अपने मन में प्रश्न करें
    जो भी समस्या या मार्गदर्शन चाहिए, विनम्रता से पूछें।

  7. मन को शांत करें।
    अब कुछ देर मौन रहें। ध्यान के दौरान जो विचार, अनुभूति या संकेत आए — वही आपका उत्तर है।
    (कभी-कभी संकेत उसी दिन मिलते हैं, कभी कुछ दिनों बाद स्वप्न या संयोग के रूप में भी आते हैं।)


🔹 समापन

  • अंत में अपने इष्ट को धन्यवाद दें।

  • दीपक और अगरबत्ती जलती रहने दें जब तक वे स्वयं बुझ न जाएँ।

  • अगले दिन मटके और नारियल को किसी पवित्र स्थान या पेड़ के नीचे रख दें।


⚠️ महत्वपूर्ण सावधानियाँ

  • यह एक आध्यात्मिक साधना है, कोई चमत्कारिक या तंत्र-मंत्र प्रयोग नहीं।

  • भय, नकारात्मकता या लालच के भाव से न करें।

  • यह केवल आपके मन और श्रद्धा को केंद्रित करने का माध्यम है।

  • यदि ध्यान में आवाज़ या संकेत आए, तो उसे शांति और विवेक से समझें।



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