Yantra kaise likhe||यन्त्र कैसे लिखें
सर्वप्रथम यन्त्र को विधि के अनुसार चित्रित करें। अपने आसन के सामने कुछ पुष्प फैला कर एक कलश में जल भरके, उन फूलों के मध्य कलश को रख दें। कलश को ढक करके पुष्पादि से पूजन करें तथा उसके ऊपर लिखे यन्त्र को रख कर धूप-दीपादि करें। इसके बाद श्री सर्व यन्त्र मन्त्र तन्त्र उत्कीलन का पाठ करें। इस क्रिया के चलते समय यन्त्र सामने रहना चाहिए। पाठ के बाद यन्त्र की विधिवत् पूजा कर लेनी चाहिए। पूजा के बाद श्रद्धानुसार यन्त्र का प्रयोग करें तो अवश्य ही उसका प्रभाव अति शीघ्र होगा। प्रस्तुत पुस्तक के यन्त्र अति प्रभावी हैं अत: इनको लिख कर ही प्रयोग करने से लाभ की प्राप्ति की जा सकती है। किसी विशेष प्रयोजन में उपरोक्त उत्कीलन विधि को प्रयोग में लायें। यन्त्र प्रयोग या यन्त्र लेखन करते समय गत पृष्ठों में बतलायी सभी बातों को ध्यानपूर्वक समझकर यथा समय प्रयोग में लाए, तभी यन्त्र साधना में सफलता मिलेगी। यन्त्र साधना में दृढ इच्छा शक्ति, विश्वास और प्रबल आस्था के बल पर ही सफलता मिलती है।
1.महारक्षा यन्त्र
महारक्षा यन्त्र |
इस महारक्षा यन्त्र को लिखने के लिए गोरोचन, कुंकुम या चन्दन, कर्पूर और भोजपत्र का प्रबन्ध करें। रवि पुष्य या गुरु पुष्य के शुभ दिवस में इस यन्त्र को लिखें। सफेद धागा लेकर यन्त्र पर लपेट करके रेशमी वस्त्र से आच्छादित करें। विधिवत् पूजन हेतु कलश पर स्थापित करें। गंध, पुष्प, नैवेद्य, धूप, दीपादि से पूजन करें और फिर चाँदी के ताबीज में भर कर धारण करें। इस प्राचीन, अत्यन्त प्रभावी, शीघ्र ही लाभकारी महायन्त्र के धारण करते ही सभी रोग नष्ट होकर स्वस्थ लाभ होता है। शत्रुओं का तो तत्काल ही विनाश हो जाता है। अविष्ट ग्रहों का स्तम्भन होकर सुख-सौभाग्य की प्राप्ति हो जाती है।
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