Ath goree ganesh saantvana shabar mantra-अथ गोरी गणेश सत्वना शाबर मंत्र
अथ गोरी गणेश सांत्वना शाबर मंत्र हमारे जीवन में हर मनोकामना पूर्ण करने तथा लक्ष्मी-सरस्वती-ऋद्धि-सिद्धि के लिए अमोघ मंत्र है
अथ गोरी गणेश सत्वना शाबर मंत्र |
मंत्र
ॐ कंठ बसे सरस्वती ह्रदय देव महेश भुला अक्षर ज्ञान का जोत कला प्रकाश,
सिद्ध गौरी नन्द गणेश बुध को विनायक सिमरिये बल को सिमरिये हनुमंत,
ऋद्ध-सिद्ध को श्री ईश्वर महादेव जी सिमरिये, श्री गंगा गौरी पार्वती माई जी
तुम्हारे कन्त उमा देवी गौरजा पार्वती भस्मन्ती देवी हिरख मन अगर कुंकुम
केशर कस्तुरी मिला कूपिया तिस्ते भया, एक टीका अमर सेंचो जी जीव संचिया
शक्त्त स्वरूपी हाथ धरिया नाम धारियो श्री गणपतनाथ पूता जी तुम बैठो
स्थान में जावा नहावण आवण-जावण किसी को न दीजिये अंकुश मारपर संग लीजिये ।
बण खण्ड मध्ये से आए श्री ईश्वर महादेव छूटी ललकार ईश्वर देख बालक क्रोप
भरिया ज्यो घृत बसन्तर धरिया शिवजी आणि मन सा रीस फिरयो चक्र ले गयो
शीश तीन भवन से भई हलूल श्री गंगा गौरजा पार्वती माई जी आ कहने लगी
स्वामी जी पुत्र मारिया तिसका कौन विचार देवी जी मै नहीं जानो तुमरा पूत
मै जानो कोई दैत्य न दूत गज हस्ती का शीश लियाऊं, काट आन अलख
निरंजन के पास बिठाऊं, शंकर जी ल्याये हस्ती का शीश श्री गंगा गौरजा
पार्वती माई जी करी असीस जब गनपट उठन्ते खेल करन्ते, महिमा उवरन्ते
गणपत बैठे स्थान मकान उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम ल्याये श्री गंगा गौरजा
पार्वती माई जी के आगे स्वामी जी तुम तो सिमरे सोची मोची तेली तंबोली ठठीहरा
गनिहारा लुहारा क्षेत्र सिमरे क्षेत्रपाल अजुनी शंभू सिमरे महाकाल लाम्बी सूँड
बालक भेष प्रथमे सिमरो आद गणेश पाँच कोस ऋद्ध उत्तर से ल्याऊं,
पाँच कोस ऋद्ध दक्षिण से ल्याऊं, पाँच कोस ऋद्ध पूर्व से ल्याऊं, पाँच कोस
ऋद्ध पश्चिम से ल्याऊं, दस कोस ऋद्ध अज गायब से ल्याऊं, इतनी ऋद्ध-सिद्ध
दिये बिना न जाऊँ श्री गंगा गौरजा पार्वती माई जी तुम्हारी माया प्रथमे एक दन्त,
द्वितीय मेघवर्ण, तृतीय गज करण, चतुर्थ लंबोधर, पंचमे विघ्नहरण, षष्टमे
धूम्ररूप, सप्तमे विनायक, अष्टमे भालचंद्र, नवमे शील संतोष, दशमे हस्तमुख,
एकादशे द्वारपाल, द्वादशे वरदायक एते गणपत गणेश नाम द्वादश सम्पूर्ण भया ।
श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश आदेश ।
मंत्र को सिद्ध करने की विघि
लक्ष्मी-सरस्वती-ऋद्धि-सिद्धि के लिए अमोघ मंत्र है 108 बार रुद्राक्ष की माला से जाप करें । शिव परिवार और सरस्वती, लक्ष्मी जी की फोटो लगाकर शुद्ध देशी घी का दीपक जला कर किसी भी शुभ महूरत में सुबह भोर वेला में इसका पाठ करना चाहिये । इस पाठ के करने से हर मनोवांछित फल प्राप्त होता है ।
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