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मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

vahan durghatna nashak maruti yantra

 वाहन दुर्घटना नाशक मारुतियन्त्र

यह कथा तो सर्व प्रसिद्ध हैं कि महाभारत युद्ध के समय वीरवर अर्जुन के रथ के अग्रभाग पर मारुति ध्वज व मारुति यन्त्र लगा हुआ था। जिसके प्रभाव से सम्पूर्ण युद्ध के दौरान हज़ारों लाखों प्रकार के आग्नेय अस्त्र-शस्त्रों का प्रहार होने के बावजूद भी अर्जुन का रथ जरा सा भी क्षत-विक्षत नहीं हुआ। भगवान् श्रीकृष्ण इस रहस्य को जानते थे कि जिस रथ, वाहन की रक्षा स्वयं मारुति-नन्दन करते हों, वह दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो सकता है ! उसका तो वाहन द्रुतगति से, वायुवेग से, निर्बाध गति से अपने लक्ष्य पर विजय पताका फहराता हुआ पहुंचेगा। अनेक विद्वानों , शोध छात्रों ने इस मारुति यन्त्र का पता लगाने हेतु अथक प्रयत्न किये, अन्ततोगत्वा मई 1983 के आसपास अज्ञातदर्शन के सम्पादक पं. भोजराज द्विवेदी ने इस यन्त्र का पता लगा लिया तथा भोजपत्र पर इस यन्त्र को बनवाकर, इसके सार्वजनिक प्रयोग प्रारम्भ किये।

vahan durghatna nashak maruti yantra
vahan durghatna nashak maruti yantra


ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय. महाबलाय स्वाहा ।। लोगों ने दुर्घटना नाशक इस यन्त्र को अपने स्वाहन के अगले हिस्सों पर लगाया। आज दिन तक वे वाहन न तो दुर्घटनाग्रस्त हुए न ही उनको किसी प्रकार से कोई खरोंच तक आई है। लोगों ने इस मारुति यन्त्र की प्रशंसा की है।  जो स्वयं घर पर बनाना चाहें तो विधि इस प्रकार है।


यन्त्र बनाने की विधि


किसी भी मंगलवार या शुभ मुहूर्त में हनुमान मन्दिर या हनुमान जी की मूर्ति के सामने, धूप-दीप लगाकर भोजपत्र वा अष्टगन्ध से या ताम्रपत्र पर इस यन्त्र को बनावें। इस यन्त्र के मूल मन्त्र का 1008 जप करें। गुड़ या नैवेद्य का भोग श्री हनुमान जी को लगाएं। फिर सिन्दूर, लाल पुष्प, यन्त्र पर चढ़ाएं तत्पश्चात श्रेष्ठ चौघड़िये (समय) में यन्त्र को अपने वाहन पर लगाएं एवं इसका चमत्कार देखें।

मूल मन्त्र यह है- "ॐ मारुतात्मने नमः हरि मर्कट, मर्कटाय स्वाहा, ॐ क्लीं रं रं मारुते रं रं उं जं उं जं उं जं उं।" उपरोक्त मन्त्र से पूरित किया हुआ यन्त्र वाहन के लिये कवच का काम करता है। फिर यन्त्र पर लिखा हुआ दोहा 108 बार पढ़ने से वाहन पूर्ण रूप से अभिमन्त्रित होकर अनुकूल व शुभ लाभ देने वाला हो जाता है।


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