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शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

Navratri Puja and Shabar Mantra

  Navratri Puja and Shabar Mantra

नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आराधना होगी। Navratri 2022 Shubh Muhurat And Puja Mantra: हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर 2022 से को है और इसी तिथि से अगले नौ दिनों तक  नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।  इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आराधना होगी। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन हाथी की सवारी के साथ होगा। नवरात्रि पर दुर्गा उपासना, पूजा,उपवास और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है।

Navratri Puja and Shabar Mantra
Navratri Puja and Shabar Mantra

शारदीय नवरात्रि 2022 घटस्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2022 Ghatsthapana Muhurat Timing)

प्रतिपदा तिथि आरंभ- 26 सितंबर 2022,सुबह 03 बजकर 23 मिनट पर 


प्रतिपदा तिथि का समापन - 27 सितम्बर 2022, सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर

घटस्थापना सुबह का मुहूर्त - 06.17 AM - 07.55 AM
अवधि - 01 घण्टा 38 मिनट

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - 11:54 AM - 12:42 PM
अवधि - 48 मिनट


'नवार्ण मंत्र'-

 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' का महत्व

मां दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में,नवार्ण मंत्र एक चमत्कारी महामंत्र है। इस नौ अक्षर के दिव्यमंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति समाई हुई हैं,जिसके माध्यम से भक्त सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता आसानी से प्राप्त कर सकते हैं एवं भगवती दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। दुर्गा माता की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए 'नवार्ण मंत्र'- 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' सबसे श्रेष्ठ है। इसका हर एक अक्षर मां दुर्गा की एक शक्ति से संबंधित है। साथ ही एक-एक ग्रह से भी इनका संबंध है। यह माता भगवती दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों माता महासरस्वती, माता महालक्ष्मी व माता महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और साथ ही माता दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है और इसी महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है। नवार्ण मंत्र का जप रुद्राक्ष माला पर करना चाहिए। नौ अक्षरों के नवार्ण मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर दुर्गा सप्तशती में इसे दशाक्षर मंत्र का रूप दे दिया गया है। ॐ अक्षर के साथ दशाक्षर मंत्र भी नवार्ण मंत्र की तरह ही फलदायक होता है


  • नवार्ण मंत्र के पहले अक्षर 'ऐं' का संबंध दुर्गाजी के पहले स्वरूप या शक्ति  माँ शैलपुत्री से है जिनकी प्रथम नवरात्रि को उपासना की जाती है। ऐं अक्षर सूर्य ग्रह को भी नियंत्रित करता है।
  • दूसरा अक्षर 'ह्रीं'है,जिसका संबंध दुर्गाजी की दूसरी शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी से है,इनकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है। ये चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है।
  • तृतीय अक्षर 'क्लीं' दुर्गाजी की तृतीय शक्ति माँ चंद्रघंटा से संबंधित है जिनकी पूजा तीसरे दिन की जाती है, इस बीज मंत्र में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
  • चतुर्थ अक्षर “चा” से माता दुर्गा के चौथे स्वरुप देवी कुष्मांडा की उपासना की जाती है,इस बीज मंत्र में बुध ग्रह को नियंत्रित करने की सामर्थ्य है।
  • पंचम बीज मंत्र “मुं” से माता दुर्गा की पंचम शक्ति मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है,इस बीज मंत्र में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
  • छठा बीज मंत्र “डा” से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है,इसमें शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
  • सप्तम बीज मंत्र “यै” से माता दुर्गा की सातवीं शक्ति देवी कालरात्रि की उपासना की जाती है,इसमें शनि ग्रह को नियंत्रित करने का सामर्थ्य है।
  • अष्टम बीज मंत्र “वि” से माता दुर्गा की आठवीं शक्ति अन्नपूर्णा देवी महागौरी की उपासना की जाती है,इस मंत्र में राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति है।
  • नवम बीज मंत्र “चै” से माता दुर्गा की नवीं शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है,इस बीज मंत्र में केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।


नवरात्रि पूजा मंत्र सिद्धि के अचूक उपाय तथा नवदुर्गा बीजमंत्र | नौ दिन की नौ देवी के नौ मंत्र


नवरात्रि पूजा मंत्र Navratri Puja mantra

शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:।
ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
चन्द्रघण्टा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
कूष्मांडा : ऐं ह्री देव्यै नम:।
स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की उपासना की जाती है । पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति की देवी दुर्गा की पूजा-आराधना का विधान है.


नवरात्र के दौरान नव दुर्गा के इन बीज मंत्रों की प्रतिदिन की देवी के दिनों के अनुसार मंत्र जाप करने से मनोरथ सिद्धि होती है | नौ देवियों के दैनिक पूजा के बीज मंत्र-


नवरात्री की पूजा Navratri pooja
1️⃣.माता शैलपुत्री- ह्रीं शिवायै नम:।
पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है. इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं.


प्रतिपदा को मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:’ की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें ।

2️⃣. माता ब्रह्मचारिणी- ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप पार्वती जी का तप करते हुए हैं. इनकी साधना से सदाचार-संयम तथा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पर इनकी साधना की जाती है।

द्वितिया को मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’, की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें.

3️⃣. माता चन्द्रघण्टा- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
माता दुर्गा का यह तृतीय रूप है. समस्त कष्टों से मुक्ति हेतु इनकी साधना की जाती है.

तृतीया को मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:’ की एक माला जप कर घृत से हवन करें.

4️⃣. माता कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।
यह मां दुर्गा का चतुर्थ रूप है. चतुर्थी इनकी तिथि है. आयु वृद्धि, यश-बल को बढ़ाने के लिए इनकी साधना की जाती है.

चतुर्थी को मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नम:’ की एक माला जप कर घृत से हवन करें.

5️⃣. माता स्कंदमाता- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
दुर्गा जी के पांचवे रूप की साधना पंचमी को की जाती है. सुख-शांति एवं मोक्ष को देने वाली हैं.

पांचवें दिन मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:’ की एक माला जप कर घृत से हवन करें.

6️⃣. माता कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
मां दुर्गा के छठे रूप की साधना षष्ठी तिथि को की जाती है. रोग, शोक, संताप दूर कर अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष को भी देती हैं.

छठे दिन मंत्र– ‘ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:’ की एक माला जप कर घृत से हवन करें.

7️⃣. माता कालरात्रि – क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
सप्तमी को पूजित मां दुर्गा जी का सातवां रूप है. वे दूसरों के द्वारा किए गए प्रयोगों को नष्ट करती हैं.


सातवें दिन मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:’ की एक माला जप कर घृत से हवन करें.

8️⃣.माता महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
मां दुर्गा के आठवें रूप की पूजा अष्टमी को की जाती है. समस्त कष्टों को दूर कर असंभव कार्य सिद्ध करती हैं.

आठवें दिन मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:’ की एक माला जप कर घृत या खीर से हवन करें.

9️⃣. माता सिद्धिदात्री – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
मां दुर्गा के इस रूप की अर्चना नवमी को की जाती है. अगम्य को सुगम बनाना इनका कार्य है.

नौवें दिन मंत्र– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:’ की एक माला जप कर जौ, तिल और घृत से हवन करें.


 नवरात्रि में विशेष लाभप्रद दुर्गा सिद्ध शाबर मन्त्र


ऐसी विकट परिस्थिति में जैसे- व्यापार में हानि, शत्रुओं का कोप, नौकरी में रुकावट, कर्ज अथवा तंत्रबंधन आदि परेशानियां । इन सबसे आदिशक्ति मां दुर्गा का यह दिव्य लक्ष्मीकारक शाबरमंत्र अमृत के समान है । इस शाबर मंत्र को नवरात्रि काल, ग्रहणकाल या फिर समस्या अधिक बढ़ने पर कभी भी जप करके सिद्ध किया जा सकता हैं । इस मंत्र को सवालाख की संख्या में जप करने का शास्त्र में विधान बताया गया हैं । इसे किसी भी  मन्दिर या फिर एकान्त पवित्र स्थान में सम्पन्न करना चाहिए । जप पूरा होने के बाद इसका दशांश यज्ञ करके 9 वर्ष से छोटी कन्याओं को भोजन कराना चाहियें ।

मां दुर्गा त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, और महेश की ही महाशक्ति कही जाती हैं । जो भी श्रद्धा पूर्वक भक्तवत्सला, करुणामयी, आद्यशक्ति मां जगदम्बा का धन वैभव की देवी माता महालक्ष्मीरूप में पूजन और आवाहन करते हुए में दुर्गा के इस शाबर मंत्र की जप साधना करता है उसे मां धनवान बना देती हैं । इस विधि से साधक घोर दरिद्रता एवं दुःखों से मुक्त होकर सुख-सम्पत्ति एवं दीर्घा यु प्राप्त करता है ।


मन्त्र :-

 “ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह-वाहिनी। 

बीस-हस्ती भगवती, रत्न-मण्डित सोनन की माल। 

उत्तर-पथ में आप बैठी, हाथ सिद्ध वाचा ऋद्धि-सिद्धि।

 धन-धान्य देहि देहि, कुरु कुरु स्वाहा।”


विधिः - उक्त मन्त्र को नवरात्र की प्रतिपदा से शुरू कर महानवमी तक करें ! माँ दुर्गा का पूजन कर रोजाना एक माला जप कर सिद्ध कर लें। फिर श्रद्धा से 9 जप रोजाना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लक्ष्मी प्राप्त होती है, नौकरी में उन्नति और व्यवसाय में वृद्धि होती है।

 

Kanya pujan कन्या पूजा 

कन्या पूजन, नवरात्रि के दौरान एक महत्वपूर्ण काम है जिसमे छोटी लड़कियों देवी माँ का रूप मानते हुए उनका सम्मान और पूजा की जाती है। कन्या पूजन में कन्या को देवी रूप देवी दुर्गा के अवतारों को माना जाता हैं। यह भी दावा किया जाता है कि देवी दुर्गा ने राक्षस कालसुर से लड़ने के लिए एक युवा लड़की का रूप धारण किया था। नतीजतन, कन्यायों के पास आज भी सार्वभौमिक रचनात्मक शक्तियां है जिनके आशीवार्द से आपकी सब समस्याएं खत्म हो सकती है।

कन्या पूजा, जिसे कंजक पूजा भी कहा जाता है, आमतौर पर नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन की जाती है। देवी दुर्गा के नौ अवतार, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है, को नौ छोटी लड़कियों के रूप में पूजा जाता है। कुछ मंदिरों या पूजा संस्थानों में कन्या पूजन नवरात्रों में रोज़ होता है, यह आप माता वैष्णो देवी मंदिर जम्मू कश्मीर में आप देख सकते है। घरों में कन्या पूजन नवरात्रे के आंठवे दिन या नवें दिन व्रत या पूजा अनुष्ठान किया जाता है।

कन्या पूजा एक हिंदू रिवाज़ है जो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में प्रचलित है। रामनवमी पर कुछ राज्य इस प्रथा को अंजाम देते हैं।

नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान, कन्या पूजा एक प्रमुख रीती रिवाज़ है। कन्या पूजा और कुमारिका पूजा कुमारी पूजा के अन्य नाम हैं।

नवरात्रि के नौ दिनों में धार्मिक ग्रंथों में कन्या पूजा की का उल्लेख है और इसे विधि पूर्वक करने की शाश्त्र आज्ञा भी देता है। नवरात्रि के पहले दिन केवल एक कन्या की पूजा करनी चाहिए और जैसे जैसे नवरात्रे का दिन बढ़ते जाते है उसी प्रकार प्रतिदिन कन्यायों की संख्या बढ़ाकर पूजा करनी चाहिए।

दूसरी ओर, कई लोग एक ही दिन कुमारी पूजा करना पसंद करते हैं, जैसे अष्टमी पूजन या नवमी पूजन। उस दिन लोग अपने घर में नवरात्रे अनुसार ८ या ९ कन्यायों को अपने घर बुलाकर उनकी पूजा करते है।

भक्त इस दिन छोटी बच्चियों को अपने घर बुलाकर उपवास रखते हैं। माना जाता है कि यह अनुष्ठान दुर्गा देवी की प्रशंसा व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालराती, महागौरी और सिद्धिदात्री को देवी दुर्गा के नौ दिव्य रूपों के अवतार के रूप में पूजा जाता है।

कंजक के साथ अब छोटे लड़के भी लड़कियों के साथ जाते हैं। जिनमे हनुमान जी के बालरूप या माता के रक्षाक के रूप में जाना जाता है।

भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि का नौवां दिन भक्तों की मनोकामना पूरी करता है और जो नौ दिन का व्रत रखते हैं और नवरात्रि के अंत में कन्याओं की पूजा करते हैं, उन्हें माँ भगवती की कृपा जरूर प्राप्त होती है।

एक कन्या की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है, दो कन्याओं की पूजा करने से ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है और तीन कन्याओं की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। बच्चे अधिकार और ज्ञान का पक्ष लेते हैं, और नौ कन्या पूजा को सर्वोच्चता का आशीर्वाद माना जाता है।

Shri Lalita Sahasranama-श्री ललिता सहस्त्रनाम

धन प्राप्ति के लिए मंत्र-


'सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:'

 नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के इस मंत्र का जाप से धन से जुड़ी समस्या का समाधान मिलता है.

संकटों से छुटकारा पाने के लिए



'शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे, सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते'. चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती के इस मंत्र के जप से जीवन में आ रही तमाम समस्एं दूर होती हैं.

सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति के लिए


'देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि'. धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में इस मंत्र के जाप से रोग दूर होते हैं. साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

हर तरह के कल्याण के लिए


'सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते'. शुभ दिनों में इस मंत्र के जाप से हर तरह के कल्याण की प्राप्ति होती है.

पसंदीदा जीवनसाथी के लिए


'पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्, तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्' मंत्र का जाप करने से मनचाहे जीवनसाथी  की प्राप्ति होती है. साथ ही, दांपत्य जीवन से जुड़ी समस्या खत्म हो जाती है.



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