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गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

bajrang bali astra shabar mantra

बजरंगबली अस्त्र महावीर अस्त्र

आज हम आपको बजरंग बली महावरी का अस्त्र मंत्र के बारे में बताने जा रहे है जो बहुत ही पावर फुल मंत्र है और यह स्वयं सिद्ध मंत्र है इसका जाप करे और लाभ पाये 

bajrang bali astra shabar mantra




 सतनमो आदेश । श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी ओउम सोहंम धेरें आकाश । आकाश में पवन।पवन में तेज तेज में तोय। तोय में तवा । तवा में बाला परमहंस रखवाला | बाला परमहंस में अलख निरंजन । अलख निरंजन की ये काया । तो शिव शक्ति दोनों ने नाद बिन्द से रचाया । ब्रम्हा विष्णु महेश मिल के उसमें प्राण डालिया । चाम पड़े तो सती सीता माई लाजै । हाड़ गलें तो अंजनी माता लाजै। माँस सड़े तो पवन लाजै । प्राण ले जाये तो सतगुरु लाजै । पड़े नहीं पिण्ड, छूटें नहीं काया । राजा रामचन्द्र जी ने महावीरास्त्र चलाया। हाँक मार अंजनी पुत्र हनुमान जी आया। सात समुन्द्र, सात समुन्द्र बीच ऋषिम्युक पर्वत । ऋषिम्युक पर्वत पर स्फटिक शिला । जिस पर अंजनी पुत्र हनुमान जी बैठा।कार्नो कुण्डल काँधे मूंज जनेऊँ सिर जटा । पांव खड़ाऊँ क़मर वज्जर लँगोट हाथ में लोहे की गदा । 

ग्रह कील | भूत कील। प्रेत कील। वैताल कील। कंकाल कील। आकाश कील। सर्वदिशा कील। खेचरा कील | भुचरा कील । जलचरा कील | थलचरा कील। नभचरा कील | डेरू बजती ढांक कील । आकाश की कड़कती बिजली कील। आती मुठ कील | जलती चिता कील मुर्दा कील। मरघट कील । मढ़ी कील । मसाण कील | भूमि का भोमिया की । गढ़े धन का रखवाला कील । बादिगर का बाद कील । दुश्मन का कण्ठ कील । पूर्व कील | पश्चिम कील | उत्तर कील | दक्षिण कील | पवन पुत्र बीरबंक नाथ बजरंगबली रामदूत हनुमान जाग । तीनलोक चौदह भुवन सप्त पाताल में किलकारी मार। तूं हुंकारे । तैतीस कोटि देवी देवता काज सँवारे । ओढ़ सिन्दूर सती सीता माई का । तूं प्रहरी अयोध्यापुरी का | महावीर हनुमान बलवन्ता । राजा रामचन्द्र जी के दूत हल हलन्ता।आओ चढ़ चढन्ता । आओ गढ़ किला तोड़न्ता । आओ लंका जालन्ता बालन्ता भस्म करन्ता।आओ ले लांगुर लँगूर ते लिपिटाये सुमिरिते पटका ओ चन्दी चन्द्रावली भवानी मिल गावें मंगलाचार जीते राजा रामचन्द्र कुंवर जति लक्ष्मण । हनुमान जी तुम

आओ।आओ जी रामदूत तुम आओ। मस्तक सिन्दूर चढ़ाते आओ। दांत किट किटाते आओ। सोलह सौ योजन समुन्द्र को लाँघते आओ। मैनाक पर्वत पर विश्राम करते आओ। सिंहिका राक्षसी की खोपड़ी फोड़ते आओ। सुरसा माता के मुँह में घुस कर वापिस आओ।लंकिनी देवी के मुँह पर मुष्टिका मारते आओ। अशोक वाटिका को उजाड़ते आओ। अक्षय कुमार को उठाकर पटकते आओ। रानी मंदोदरी का सिंहासन हिलाते डुलाते आओ। द्रोणाचल पर्वत को उखाड़ते आओ। लंकापति रावण को मूर्छित करतें आओ आओ आओ पवन कुमार हनुमान। बांये चलें सुग्रीव वीर। आगे काल भैरव किलकिलाये। पीछे जामवन्त वीर दांये चलें अंगद वीर। ऊपर अंजनी पुत्र हनुमान जी गाजै । देव दानव राक्षस को फाड़े। डाकिनी शाकिनी को मार संहारें । श्री नाथजी गुरुजी हमारें सतगुरु | हम सतगुरू के बालक हनुमान जी को साथ ले हम रणभूमि में चलें साथ में लिया और कोई । रणभूमि में पीठ पग कभी न मोड़िये संकट मोचन हनुमान जी करें सो होय। पग पग में पदमावती देवी बसें मुल बसे गौरी नन्द गणेश | भृकुटी बीच काल भैरव बसे हृदय बसें महेश । हथेली में हनुमान जी बसें बाजै अनहद तूर । यमडंक लागे नहीं काल कण्टक रहें अतिदूर । इतना महावीर हनुमान मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया । कैलाश गिरी की शिला पर सिद्धांसन बैठ श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथजी ने राजा गोपीचन्द राजा भृतहरि को कान में सुनाया। श्री नाथजी गुरुजी को आदेश । आदेश । आदेश


विधि

यह अस्त्र स्वयं सिद्ध मंत्र है इसको आप 11 या 21 जाप कर हनुमान मंदिर में पान व प्रसाद आदि की पूजा करें

जब इसको काम लेना हो तो 21 बार जाम कर पानी में फूंक मार कर रोगी को पिला दें। 


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