-->

रविवार, 10 मार्च 2024

अति भयंकर ब्रह्मरक्षस प्रत्यक्षीकरण साधना

अति भयंकर ब्रह्मरक्षस प्रत्यक्षीकरण साधना 

 बहुत दिनों से काफी साधकों ने संपर्क किया देश की विभिन्न जगहों से बहुत लोगों की मांग में ऐसी साधना मांगी गई जो प्रेत योनि में महत्वपूर्ण वा अधिक समर्थ  शक्ति की हो  कोई दो राय नहीं बरहम राक्षस प्रेत योनि में सर्वाधिक सक्षम शक्ति का नाम है इसको सिद्ध करने वाला व्यक्ति कोई भी कार्य करने में सक्षम होता है यह योनि बहुत ही जल्दी प्रसन्न वा क्रोधित भी होती है । हर तंत्र साधक की इच्छा होती है यह साधना सिद्ध करने की । साधक कोशिश भी करते हैं बहुतों ने सिद्ध की बहुत करना चाहते हैं अभी भी और बहुत लोगों ने इसके चक्कर में अपना बहुत कुछ खोया भी है ।।

अति भयंकर ब्रह्मरक्षस प्रत्यक्षीकरण साधना
अति भयंकर ब्रह्मरक्षस प्रत्यक्षीकरण साधना 


विशेष ध्यान 

 यह साधना मजबूत इच्छा शक्ति वाले ही करें और खुद की ही जिम्मेदारी से करें । यह योनि बहुत शक्तिशाली है यह कैसा भी रूप ले सकती है सामने आकर डरा सकती है विभन्न प्रकार के छलावे भी यह कर सकते हैं। अगर आप साफ उद्देश्य वा सही नियमों से कोशिश करते हैं तो हो सकता है बिना डरावने अनुभव के भी यह सिद्ध हो जाए ।
पहले थोड़ा जान लें इनका निवास पुराने पीपल के पेड़ों में होता है मंदिर में या शमशान में ऐसे पीपल का होना चाहिए । आकड़े में भी माना गया है पर अधिकतर पीपल का वृक्ष ही है ।


सामग्री 

मिठाई पांच प्रकार की 
बताशे 
5 पान सुपारी
कपूर 5 लौंग के जोड़े 
कुशा का आसन
शराब की बोतल अच्छी
बकरे का मांस भुना हुआ
वस्त्र काले 
दिशा दक्षिण
दिन शुक्रवार 
माला रुद्राक्ष या स्फटिक 

बहुत अच्छा होगा ऐसा पीपल ढूंढे जो शमशान में हो 
1/नियम में धरती शयन है 
2/स्त्री के संपर्क में नहीं आना है।
3/ एक समय ही भोजन करना है ।
4/ अपवित्र रहना है ।
5/ अकेले ही रहना है साधना के दौरान 
6/ जब तक साधना सिद्ध ना हो जाए किसी से कोई बात नहीं करनी 
7/ सिद्ध होने पर कभी भी किसी से कोई जिक्र नहीं करना


मंत्र 
ओम नमो आदेश गुरु जी को सत नमो आदेश
ओम गुरुजी आदेश करो अपना ब्राह्मण कुल में
पैदा हुआ सिद्ध हुआ ज्ञानी हुआ राक्षस गुणी कार्य
किया वो बना सौ प्रेतो का राजा जो अपने को
कहलाए ब्रह्मराक्षस मै रमाऊ उसकी धूनी पचरंगी
भोग लगाओ आदेश लगाओ अपने गुरु का
ब्रह्मराक्षस तोये बुलाओ प्रत्यक्ष होकर मेरे समक्ष
खड़ा हो इतने पर भी मेरे बुलाए मेरे गुरु उस्ताद
के बुलाए हाजिर होकर मेरा अमुक काम ना करें
तो तू अपनी बहन भांजी से हराम करें तू अपने ही
गुरु का खून पीये मेरे वाचे को कुवाचा करें तो तुझे
देवराज इंद्र की आन लगे तुझे ब्रह्मदेव कि आन
देवों के देव महादेव की आन फुरे मंत्र ईश्वरी वाचा
सत नमो आदेश गुरु का



नोट= 
भूल से भी कोई आजमाएं ना जो करने का मन बनाए हुए साधक हैं वही करें और अपने गुरु से राय मशवरा भी कर लें । पर करते समय कब तुम कर रहे हो इसका पता किसी को भी नहीं होना चाहिए ।




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

-->