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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

Initiation of Tantric mantras without a guru-तान्त्रिक मन्त्रों को बिना गुरु के दीक्षा

Initiation of Tantric mantras without a guru-तान्त्रिक मन्त्रों को बिना गुरु के दीक्षा 

तान्त्रिक मन्त्रों को बिना गुरु के दीक्षा
तान्त्रिक मन्त्रों को बिना गुरु के दीक्षा 

किसी भी अथवा उपयुक्त मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन, अपने नाम से चन्द्र व तारा बल देखकर दक्षिणा मूर्ति (कालिका) के मन्दिर में जाकर कलश स्थापन करे। अभीष्ट मंत्र ताल पत्र पर लिख कर कलश पर देवी एवं मन्त्र के देवता का पूजन करे। भगवती कालिका ही (अथवा शिव ही) गुरु हैं ऐसा मानकर उस तालपत्र पर लिखे मन्त्र को कलश के समर्पित कर श्रद्धा-विश्वास पूर्वक ग्रहण कर ले। उसे एक सौ आठ बार जपे।
ये विधियां क्षुद्र देवता के मन्त्रों की अथवा शाबर मन्त्रों की हैं। ग्रहीत मन्त्र का पुरश्चरण करने पर वह सिद्ध होता है और सिद्ध होने पर ही वह कार्यक्षम होता है। प्रत्येक मन्त्र के स्तर व आकर के अनुसार पुरश्चरण की मात्रा निधारित की गई है। जिनकी संख्या का उल्लेख नहीं किया गया हो उनकी दस हजार-जप करने की मर्यादा है।
मन्त्र की साधना करते समय व्यक्ति को अनेक प्रकार के चमत्कार दृष्टि गत होते हैं, अनेक दृश्य दिखते हैं, दूरश्रवण-दूरभाष जैसे आभास होते हैं, वाक्सिद्धि का प्रारंभिक स्तर प्रकट होता है। ऐसी कई स्थितियां सामने आती हैं। साधक इन दिव्य अनुभवों को किसी के आगे प्रकट न करे, केवल गुरु को ही ये सुनावे। इनपर इतराने या दूसरों को कह देने से ये बन्द हो जाते हैं।

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