शाबर मंत्रों को जाग्रत करने की विधि
यों तो शाबर मन्त्र इस युग के मन्त्र हैं और वे सरलता से सिद्ध हो जाते हैं तदपि अनेक बार उनको सिद्ध करने का प्रयत्न करने पर भी यदि वे कार्यक्षम नहीं हो तो जागृत करने का अनुष्ठान करे। रविवार की रात में कांसी की थाली राख से साफ करके उसे सामने रखकर प्रत्येक प्रहर के प्रारम्भ में अभीष्ट मन्त्र को एक सौ आठ बार जपे। चौथे प्रहर में मन्त्र जप के पश्चात् खैर की डण्डी से हिन्दी अथवा अपनी मातृभाषा में यह कहे "हे मन्त्रदेव जाग्रत हो" और थाली को बजावे। रात-भर में चार प्रहर माने जाते हैं अपनी तरफ से अथवा किसी से पूछकर समय निर्धारित कर लें और प्रहर के प्रारम्भ में यह विधि सम्पन्न कर ले।
shabar mantro ka jagrat karne ki vidhi |
शाबर मंत्र साधना के पश्चात् मंत्र प्रयोग विधि :-
शाबर मंत्र साधना के पश्चात् आप शाबर मंत्र का प्रयोग भी ठीक वैदिक मंत्र जैसे ही कर सकते है | किन्तु कभी कभी यह स्पष्ट न होने पर कि यह शाबर मंत्र किस देव का है ऐसे में आप मंत्र को प्रयोग करते समय शुरू में 3 बार ॐ श्री परमात्मने नमः का जप करें और फिर शाबर मंत्र का उच्चारण करें और अंत में फिर से 3 बार ॐ श्री परमात्मने नमः का जप कर परमपिता परमेश्वर से अपने कार्य की पूर्णता की अरदास लगा दे |
किसी बीमारी या नजर के दोष या ऊपरी बाधा के सन्दर्भ में किसी शाबर मंत्र का प्रयोग किसी पीड़ित व्यक्ति पर उपरोत्क विधि अनुसार ही करें व उसे 3 या 7 दिन के समय अन्तराल पर 3 बार शाबर मंत्र द्वारा झाड़ा करें |
अपने ईष्ट देव पर पूर्ण विश्वास रखते हुए मंत्र का प्रयोग करें | मंत्र साधना के पश्चात् मंत्र का प्रयोग जितना अधिक निस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए आप करेंगे, आपके द्वारा सिद्ध किये गये मन्त्रों में परिपक्वता और अधिक आने लगेगी |
नोट : शाबर मन्त्रों का प्रयोग आप किसी को हानि पहुचाने के उद्देश्य से कदापि न करें, ऐसा करने से मन्त्रों में आई परिपक्वता समाप्त होने लगती है |
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