Annpurna Shabar Mantra-अन्नपूर्णा भण्डार शाबर मन्त्र
आज के इस आधुनिक युग और आर्थिकी परिवेश में सम्पन्न आर्थिक स्थिति वालो को अधिक मान्यता, सम्मान दिया जाता हैं | मानव का कोई मूल्य ही नहीं रहा, धन, दौलत ही मुख्य सर्वश्री का स्थान ले चुकी हैं |
जिस इन्सान के पास धन का आभाव हैं, वो खुद ही अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान हैं, घर का खर्चा, ये लाना, वो लाना, उसका कर्जा, इसका कर्जा ना जाने किस किस की परेशानी पाल रखी हैं वो भी केवल “धन” आधारित | बिना धन के इन्सान कुछ सोचने, करने लायक नहीं रहता, सोच सकता हे तो धन की टेंसन परेशान करती हैं | कुछ भी हो आज इन्सान के जीवन में इन्सान, रिश्तो से ज्यादा “धन” की अहमियत हैं | अगर आपके पास धन हैं तो आप को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा, लोगो से सम्मान, प्रेम, साथ सब मिलेगा, और अगर आपके पास धन नहीं हैं तो आपको लोगो के ताने, गुलामी, घृणा आदि का सामना करना पड़ता हैं | आपके सामने ऐसी ही एक साधना बताने जा रहा हूँ जो आप इस दिवाली से शुरू करे जिसके प्रभाव से आप अपने कष्टो से छुटकारा पा सकोगे और आपकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाएगी | और आर्थिक स्थिति भी सुधर जाने से घर परिवार में भी प्रेम व एकता का निवास होगा |
Annpurna Shabar Mantra |
अन्नपूर्णा भण्डार शाबर मन्त्र
|| ॐ गणपत गणपत राजकुमार
रिद्दी पर बैठे गणपत आप
देवी पूजों केसर काफूर
दोहरा कोट तेहरी खाई
कंटक मार खप्पर में लीजे
रिद्दी टूटे नहीं
विध्न व्यापे नहीं
हाजर हाजर गणपत की दुहाई
गणपत पूजे अमृतें
सदा फल दीजे
धर्म की डिब्बी
पाताल का ठिया
नौ नाथ चौरासी सिद्धां
मिल भण्डार किया ||
नवनाथ पंथी अन्नपूर्णा शाबर
मंत्र साधना
ॐ नमो गुप्त वीर मंजन , सबको ठा यही तेरी आन गंगा की लहर
जमुना की प्रवाणाया कुठार राजा भण्डार ,राजा प्रजा लागे हैं पांच राति
रिद्धि लाओ तो नवनाथ चौरासी सिद्धि का पात्र भरो ,हमारा जो पात्र
ना भरो तो पार्वती का क्षीर चोखा हराम करो।
विधि :- यह साधना प्राचीन नाथ पंथी लोगों की हैं , इस मंत्र को उचित नियम केअनुसार करेंगे। तो आपके घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होगी , सदैव आपका भण्डार घर भरा रहेगा। कभी खाली नहीं रहेगा इस प्रकार की साधना हर एक के लिए अति आवश्यक हैं। क्यों की इंसान लाख धन दौलत हिरे ,,मोती, सोना, चांदी, जवाहरात कमा ले। मगर बिना अन्न के वोह जीवित नहीं रह सकता। यह शाबर मन्त्र हैं इस साधना को स्त्री , पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। साधना को किसी भी पर्व काल में सिद्ध कर सकते हो। .. जैसे की दिवाली , चौदस , अमावस , पूनम की रात्रि में 11:30 के बाद इस साधना को शुरू करे। .साधना में शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक जला कर , धुप दिप , पुष्प इत्यादि। रख। मंत्र को एक ही बैठक में 5400 बार जाप करना हैं। जाप शुरू करने से पहले गुरु से आशीर्वाद , उनकी अनुमति अवश्य ले। तब ही मंत्र सिद्धि अपेक्षित हैं। अन्यथा मंत्र लाभ नहीं करेगा।
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