Jangi Mata Ka Mantra
जंगी माता का मन्त्र
आई जङ्गी, गई फिराकी।
मद पिए, मांस खाए, काली कहाए।
भरी कड़ाही, लङ्का डाई,
जहाँ धुआँ रोल मचाई।
चौकी वणी हनुमान की,
राजा रामचन्द्र की दुहाई।
पीपल के वृक्ष के नीचे जल, गन्ध, फूल, बताशे, धूप, गुग्गुल, गाय के घी की ज्योति तथा काँसे का एक साफ खाली कटोरा रखकर उक्त मन्त्र की एक माला सायं एक प्रहर रात्रि के बाद 21 दिन तक जप करें। जिस दिन अग्नि की बहुत बड़ी ज्वालासी आती दिखाई दे और उसके बीच छाया-सी दिखाई दे तथा वह पास आकर जब आवाज दे तो जप को बीच में रोक कर कहें कि फलां व्यक्ति ने बकरियाँ पाली है,
बहती नदी के किनारे २१ दिन तक उक्त मन्त्र का एक माला जप करें। आटे की गोलियाँ बनाकर मछलियों को खिलाएँ; फिर आवश्यकता पड़ने पर विभति बनाकर पशु को लगाएँ। कुछ पानी इत्यादि में पशु को खिलाएँ।
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