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गुरुवार, 17 सितंबर 2020

vijay prapti mantra

Vijay prapti mantra- विजय-प्राप्ति मन्त्र

जीवन या समाज के किसी भी क्षेत्र में शत्रु-विरोधी, निदंक, प्रतिस्पर्धा, प्रतिद्वन्द्वी को परास्त करके साधक को विजय प्रदान करने में यह मन्त्र अमोघ है।

vijay prapti mantra
vijay prapti mantra



 विजय-प्राप्ति मन्त्र

 हाथ में बसे हनुमान भैरों बसे लिलार जो हनुमंत को टीका करे 

मोहे जग संसार जो आवे छाती पांव धरे बजरंग वीर रक्षा करें 

महम्मदा वीर छाती तोर जुगुनियां वीर सिर फोर उगुनिया 

वीर मार मार भास्वंत करे भैरों बीर की आन फिरती रहे 

बजरंग वीर रक्षा करे जो हमारे उपर घात डाले तो 

पलट हनुमासन वीर उसी को मारे जल बांधे, थल बांधे, 

आर्या आसमान बांधे कुदवा और कलवा बांधे, 

कचकक्की आसमान बांधे वाचा साबि 

साहिब के पूत धर्म के नाती, आसरा तुम्हारा है।


विधि :- इस मन्त्र की सिद्धि के लिए 32,००० जप की आवश्यकता होती है। इसकी शुरुआत दीपावली, होली या ग्रहण की बेला में की जाती है। इसे रात्रि के समय जपा जाता है। साधक को स्नान के पश्चात् एकांत कमरे में हनुमानजी की मूर्ति के समक्ष एकाग्र भाव से प्रत्येक दिन 108 मन्त्रजप करना चाहिए। निश्चित मन्त्र की संख्या पूर्ण होने तक, नियम-निष्ठा व संयम से रहना चाहिए। ब्रह्मचर्य नियम का पालन करते रहना चाहिए। सिद्ध हो जाने के पश्चात जब भी आवश्यकता पड़े, इसका पाँच बार जप करके लाभ उठाया जा सकता है।

  

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