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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

lakwa-Paralysis ka shabar mantra

  लकवा ठीक करने का मन्त्र

पक्षाघात या लकवा मारना (Paralysis) एक या एकाधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियों के कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ होने की स्थिति को कहते हैं। पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन-शक्ति समाप्त हो सकती है  या उस भाग को चलना-फिरना या घुमाना असम्भव हो जाता है। यदि दुर्बलता आंशिक है तो उसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं।


लकवा ठीक करने का मन्त्र

लकवा ठीक करने का मन्त्र



"ॐ नमो गुरुदेवाय नमः।
 ॐ नमो उस्ताद गुरु कूँ, 
ॐ नमो आदेश गुरु कूँ, 
जमीन आसमान कूँ, 
आदेश पवन पाणी कूँ, 
आदेश चन्द्र-सूरज कूँ, 
आदेश नवनाथ चौरासी सिद्ध कूँ, 
आदेश गूंगीदेवी, बहरीदेवी, 
लूलीदेवी, पांगुलीदेवी, 
आकाशदेवी, पातालदेवी,
उलूकणीदेवी, पूंकणीदेवी, 
टुंकटुंकीदेवी, आटीदेवी,
चन्द्रगेहलीदेवी, हनुमान जति अञ्जनी का पूत, 
पवन का न्याती, वज़ का कांच, lodis 
वज्र का लंगोटा ज्यूं चले ज्यूं चल, 
हनुमान जति की गदा चले ज्यूं चल, राजा
रामचन्द्र का बाण चले ज्यूं चल, 
गंगा-जमना का नीर चले ज्यूं चल,
 दिल्लीआगरा का गैलो चले ज्यूंचल, 
कुम्हार को चाक चले ज्यूंचल, गुरु की शक्ति, 
हमारी भक्ति, चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा।"


विधि

आशापुरी धूप लगाकर, मोरपंख से दिन में तीन बार (सुबह, दोपबह, दोपहर, शाम) झाडा देना तथा प्रत्येक झाड़े में इस मन्त्र का सात बार बोलना इक्कीस दिन के तक लगातार प्रयोग से लकवा ठीक हो जाता है परन्त 21 नित्य दिन में तीन बार खेजडी सींचणी जरूरी है। व्यक्ति के ठीक हो जाने के पर्व 'उतारा' करना भी जरूरी है।

उतारा करने की विधि

झाड़ा प्रारम्भ करने से एक दिन पहले शनिवार 'उतारा' (टोटका) करें समें यथेष्ट समेंसे सबसे पहले

लेनी । ठीकरी में सबसे दिए। उसके पश्चात् अवशिष्टस पारी, काजलपुड़ी, पाटा देना शरू करें। सात पाव आटे का चूरमा बनावें, उस जाट घत. गड, मावा मिलाकर चूरमे को घी से तर कर दें। इसमें से हनमानजी को सवासेर का रोट चढ़ाना। सात कोरी ठिकरियां लेनी। तीन पहले सात काजल फिर सात कुंकु की टीकियां देनी चाहिए। उसके पश्चात चरमा सातों ठिकरियों पर रख दें। प्रत्येक ढेरी पर एक-एक खारक, सुपारीको कंकमपुड़ी, इलायची, लौंग, चरचडीला की पुड़ी रख देनी।  धूप आशापरी काधआं देना । डंकोलियों का पालना बनाकर मौली से बांधे । उतारा (टोटका के नीचे रख देना। पालने में रूई की छोटी गद्दी करके बिछानी। 


पालना खेजड़ी के बांध देना। खेजडी में जल सींचने के लिए नई मटकी लावें, उसी से कर जल सींचें। आते-जाते समय किसी से बोलें नहीं। सींचने के बाद मटकी वापस लाकर जतन से रखनी ताकि फूटे नहीं। उतारा करने के पूर्व एक नारियल मावडिया (बायोसा या माताजी) के थान (चबूतरी) पर चढ़ाना। नारियल की गिरियां बच्चों में तुरन्त बांट दें। इस विधि से कार्य करने पर बीजासणी दोष यानि लकवा (पक्षाघात) ऊपरी हवा (वाहन) का दोष ठीक हो जाता है।


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