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शनिवार, 9 जनवरी 2021

shamshan jagran mantra

प्रेत-जागृति व श्मशान-जागृति 

उक्त जागृति का विधान सुरक्षित रहे, केवल इसी उद्देश्य से प्रकाशित किया जा रहा है। पाठकों से अनुरोध है कि कृपया ज्ञान-वर्द्धन हेतु ही इसे पढ़ें। इसे करने के पीछे नहीं पड़ेंगे। यदि कोई करना ही चाहें, तो कम-से-कम किसी जानकार अधिकारी व्यक्ति के संरक्षण में ही करेंगे। अन्यथा गम्भीर सङ्कट में पड़ सकते हैं, जिसके लिए पॊसट प्रकाशक कोई भी जिम्मेदार नहीं होगा।

shamshan jagran mantra
shamshan jagran mantra


मन्त्र 1: 

"दैत खड़ा, भूत खड़ा, मनी मशान खड़ा । चौथे कीले पे निशान कौन लगाया? तालन की माला, बल की विद्या फेर दो । गुरु की शपथ, मेरी भगत । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।" 

 मन्त्र 2 : 

"भुली मशान ठिकाळा । दैत ताल जगमऊ, मशान जगाऊ । गुरु की शपथ, मेरी भगत । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।" 

(उक्त दोनों मन्त्र प्रेत-जागृति व श्मशान-जागृति के हैं।)

मन्त्र 3 : 

श्मशान-धक्का-निवारण मन्त्र-'काळ-भैरव ! कपिला जड़ भैरव ! चौखड श्मशान में भोजन कर। राजा राज करी। काळ-भैरव ! बता तेरा रूप । तेरे कू बताऊंगा गुगुल की धूप । जातजोड़ी। जहाँ भेजे, वहाँ जाना । बन्द मा की बाहत्तर कोठड़ी में घुस जाना। जजीरवाले की जजीर खोलना। भूत-पलित का चौखा उखाड़ना । चुड़ेल दासीन माते की चौकी उखाड़ना। बड़े - बड़े देवी देवताओं की चौकी उखाड़ना । ताल - भिवेरी पैकी घर फेक देना । न फेक दे, तो सख्खे माँ के खाट पर जाएगा। गुरू की शपथ, मेरी भगत । चलो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।

मन्त्र 4 : 

प्रेत गिराने का मन्त्र-"चण्डी, चण्डी, महाचण्डी । मी करीन मेल्यावर वात । अन् तुला नेऊन दावीन श्मशानान्त।"

विधि : 

पहले उक्त चारों मन्त्र किसी भी ग्रहण-काल में १०५ बार जप कर ग्रहण-सिद्धि करे। 'जागृति' का यह विधान शनिवार या मङ्गलवार को करते हैं। इसके लिए पहले श्मशान में जाकर एक महीने के अन्दर गड़े हुए प्रेत की जगह देख आए। 'प्रेत' का पोस्ट-मार्टम (शव-विच्छेदन) न हुआ हो। 'जागति' की पूर्व - तैयारी निम्न प्रकार करे

सामग्री : 

(1) श्मशान में गड़े हुए 'प्रेत' के आस-पास एकाध पेड़-पौधा होगा। उसकी एक डाली ले आए या श्मशान में जाकर 'खापर-खुरी' (खप्पर का एक टुकड़ा) ले आए।

(२) श्मशान-बेरड : यह अत्यन्त महत्त्व - पूर्ण चीज है। बकरा काटते समय १/२ किलो काले उड़द उसकी गर्दन के नीचे इस प्रकार रखे कि बहनेवाला रक्त उड़द पर गिरे। इस रक्त में भिगोए उड़द ही 'श्मशान-बेरड' कहलाते हैं।

विशेष : 'श्मशान-बेरड' शीघ्र ही खराब हो जाते हैं। अतः जिस दिन जागति करनी हो, उसी दिन इन्हें प्राप्त करे।

(३) चना आधा किलो और 'मद्य' की एक बोतल । 

(४) १०-१५ नीम्बू। (५) हल्दी-कुंकुम, अगर-बत्ती, अक्षत आदि।

जिस दिन 'जागृति' करनी हो, उस दिन–(१) श्मशान से लाई 'खापर-खुरी' (पेड़ की डाली) मन्त्र १ एवं मन्त्र २ से इक्कीस-इक्कीस (२१-२१) बार अभिमन्त्रित करके रखे।

(२) 'श्मशान-बेरड' को भी मन्त्र १ एवं मन्त्र २ द्वारा २१-२१ बार अभिमन्त्रित करे। इसे करने में कुछ कठिनाई होती है क्योंकि मन्त्र-जप कर 'बेरड' पर फूंक मारने से दुर्गन्ध को सहना पड़ता है।

(३) 'जागृति' के समय जितने व्यक्ति उपस्थित हों, उन सबके लिए १-१ नीम्बू मन्त्र ३ (श्मशान-धक्का-निवारण मन्त्र) से २१ बार अभिमन्त्रित करे । प्रत्येक व्यक्ति को ऐसा १ नीम्बू जेब में रखने को देना चाहिए। यह नीम्बू जमीन पर गिरना नहीं चाहिए, यह बात प्रत्येक व्यक्ति को बता दे । स्वयं भी एक नीम्बू साथ में रखे।।

(४) मन्त्र ४ (प्रेत गिराने का मन्त्र) से २१ बार अभिमन्त्रित एक नीम्बू अलग से अपने साथ रखे। इसे 'जागत प्रेत' पर फेंकने से वह वापस चला जाता है।

सिद्ध 'श्रीराम-रक्षा-स्तोत्र' द्वारा अभिमन्त्रित नीम्बू से भी उक्त कार्य होता है।

उक्त सभी वस्तुएँ श्मशान में रात्रि ६ बजे के बाद ले जाए । 'श्मशान-बेरड' की थैली अपने पास न रखे-अन्य व्यक्ति के हाथ में दे। यदि अपने पास ही रखना हो, तो 'बेरड' पूर्ण - तया बन्द होना चाहिए । प्लास्टिक की बैग में उसे पूर्णतः बन्द कर सकते हैं।

अब ‘खापर - खुरी' ( डाली) द्वारा गड़े हुए प्रेत को घड़ी - वत् (क्लॉक-वाइज) क्रमशः इस प्रकार 'रिङ्गण' (वत्त) मारे कि थोड़ी-सी जगह खुली रहे ? देखें चित्र-१'= खुली जगह । यदि पूरा श्मशान जागृत करना हो, तो सम्पूर्ण श्मशान को वृत्त मारे।

चित्र 1



 चेतावनी : 

यदि इस समय 'श्मशान - बेरड' प्रयोग - कर्ता के पास हो और वह जरा-सा भी खुला हो, तो उसके आकर्षण से प्रेत तुरन्त उठ खड़ा होगा-अगला विधान पूर्ण होने से पहले ही और ऐसा होना ठीक नहीं।

अब हल्दी-कुंकुम, अक्षत, अगर-बत्ती आदि से प्रेत की पूजा करे। फिर वहाँ से थोड़ी दूर जाकर बैठे और वहाँ से प्रेत की ओर 'श्मशानबेरड' के ८-१० दाने फेंके । इससे पहले हवा जोर से आँधी-जैसी बहने लगती है । पेड़ों के पत्ते हिलने लगते हैं। पौधे डोलने लगते हैं। बाद में 'सूऽऽसूऽऽऽ-घऽऽऽ' जैसी भय-प्रद आवाजें आती हैं। साथ ही जमीन में से 'प्रेत' उग्र रूप में उठकर खड़ा होकर, प्रयोग-कर्ता के सामने आ जाता है। उसके सामने आते ही, उससे उसका नाम पूछना चाहिए। नाम बताने पर, उससे तीन बार यह वचन ले कि "तीन तालियाँ बजाकर इस नाम से जब पुकारूँ, तब प्रत्यक्ष होकर बताया हुआ कार्य पूर्ण करना।" वचन लेने के बाद आधा किलो चना और मद्य की बोतल उसे दे दे। यह सारी क्रिया कितनी रोमाञ्चक और भय-प्रद है, यह बताने की आवश्यकता नहीं।

 जब तक 'प्रेत' को कब्जे में रखे, उसे नित्य आधा किलो चना और बोतल देता रहे। सभी कार्य 'प्रेत' करेगा। जब भी उसे गिरा कर, वापस भेजना हो, तब मन्त्र ४ से या 'श्रीराम-रक्षा' से अभिमन्त्रित नीम्बू उसे मारे-'प्रेत' गिरकर स्व - स्थान में सदा के लिए चला जाएगा।

यदि 'प्रेत' मुक्ति चाहे, तो उसे किस प्रकार मुक्ति मिल सकती है-यह बात उसी से पूछ ले । 'प्रेत' को गिराने के बजाय, उसे मुक्ति दिलाना उत्तम है।



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