Ganesh-vidya ke shabar mantra- गणेश-विद्या के शाबर मन्त्र
गणपति के पांच बाण
Ganesh-vidya ke shabar mantra |
- ॐ गुरु जी समरूँ, गुणपति साधू, लाण डाकण मार । चार सोकोत्तरे पाए लगाई। गुण-पति राजा घोड़े चडोया, भूत-पलीत में विधन हमेशा होंकारा । पोछा फरे, तो माई पावती जी का दूध हराम करे।
- ॐ गुरु जी गुणेश बोले मोले ! सवा सेर लाई खावे । होंकारा सो कोस जावे। हमेश होकारा । पीछा फरे, तो माई पार्वती जी का दूध हराम करे।
- ॐ गुरु जी, बोडोया वीर ! तूं बलीयो वीर । जब लग तारी सेवा करू, लीला थई शिर धरूं । माथे मांड पलाण, गसाण मांथी मुठी करूं। कहोने सन्तो राम-राम।
- ॐ गुरु जी ! तम गणेश-गौरी का पूत । ज्यां समरू त्या आयो जीत । तमारा पिता जी ईश्वर महादेव, साची तमारी सेवा करूं। हमेश कामे पधारो और लाडू, सौंदुरनी पड़ी, लवींग, सोपारी पान-बीई श्री गुणपतिना उर मां घरू।
- ॐ गुरु जी! सोधबाई से चला आय, राजा-प्रजा लागे पाई । वाटे-घाटे न मारी ओजवाई । ज्यां समरू, त्यां आगेवान ।
विधि
गणेश चतुर्थी के दिन लाल लंगोट पहनकर, गणपति की मूर्ति को अपने सामने लाल कपड़े पर अक्षत और दूर्वा के ऊपर रखे । फिर दूध, दही, जल से क्रमशः स्नान कराए।
स्नान करते समय-'ॐ गुरु जी गं गणपतये नमः', 'ह्रीं गं गणपतये नमः' यही मन्त्र पढ़ता रहे । स्नान के बाद सिन्दूर लगाए, लाल पुष्प चढ़ाए। चूरमे के लड्ड का नैवेद्य और लौंग, सुपारी, पान का बीड़ा और दक्षिणा (रुपए-पैसे) सम्मुख रखे । गुग्गुल की धूप देकर, आरती करे । इसके बाद उक्त 'पञ्च-वाण-मन्त्रों का जप करे-पांच माला । जप पूरा होने पर प्रसाद के लड्ड का भोजन करे। जो शेष बचे, उसे भूमि में गाड दे। आसन के ऊपर का अक्षत संभाल कर रख ले । इच्छित कार्य में लाते समय गुग्गुल की धूप देकर 'पांच-वाण-मन्त्रों को पाँच बार बोलकर अक्षत में कार्य का चिन्तन करे। इससे इच्छित कार्य पूर्ण होगा।
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