Gorakhnath shabar gayatri mantra- गोरख शाबर गायत्री मन्त्र
ॐ गुरु जी , सत नमः आदेश । गुरु जी को आदेश ।
ॐकारे शिव - रूपी , मध्याह्ने हंस - रूपी ,
सन्ध्यायां साधु - रूपी । हंस , परमहंस दो अक्षर ।
गुरु तो गोरक्ष , काया तो गायनी ।
ॐ ब्रह्म , सोऽहं शक्ति . शून्य माता , अवगत पिता ,
विहङ्गम जात , अभय - पन्थ , सूक्ष्म - वेद , असंख्य शाखा ,
अनन्त प्रवर , निरञ्जन गोत्र , त्रिकुटी क्षेत्र , जुगति जोग ,
जल - स्वरूप रुद्र - वर्ण । सर्व - देवः ध्यायते ।
आए श्री शम्भु - जति गुरु गोरखनाथ ।
ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षः प्रचोदयात् ।
ॐ इतना गोरख - गायत्री - जाप सम्पूर्ण भया ।
गङ्गा गोदावरी त्र्यम्बक - क्षेत्र कोलाञ्चल अनुपान - शिला पर सिद्धासन बैठ ।
नव - नाथ , चौरासी सिद्ध , अनन्त - कोटि - सिद्ध - मध्ये
श्री शम्भु - जति गुरु गोरखनाथ जी कथ पढ़ , जप के सुनाया ।
सिद्धो गुरुवरो , आदेश - आदेश ।।
विधि एवं प्रयोग -
प्रतिदिन गोरखनाथ जी की प्रतिमा का पञ्चोपचार से पूजन कर 21 , 27,51 या 108 जप करे । नित्य से भगवान् गोरखनाथ की कृपा मिलती है , जिससे साधक और उसका परिवार सदा सुखी रहता है । बाधाएं स्वतः दूर हो जाती हैं । सुख - सम्पत्ति में वृद्धि होती है और अन्त में परम पद प्राप्त होता है ।
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