-->

सोमवार, 22 अगस्त 2022

Jod Tod ka shabar mantra

 जोड़-तोड़ का शाबरी मन्त्र 

यह मन्त्र सभी प्रकार के अभिचार-प्रयोगों को जोड़ने व तोडने की क्षमता रखता है।  यदि किसी व्यक्ति पर 'अभिचार - प्रयोग' (मन्त्र - मूठ, चौकी, घाल–'शाबर-मन्त्र-प्रयोगों' की विशेष मारण-क्रिया) किया हो, तो उसे इस मन्त्र से तीन दिन तक झाड़ा दे। 'अभिचार-प्रयोग' नष्ट हो जाएगा।


जोड़-तोड़ का शाबरी मन्त्र
Jod Tod ka shabar mantra

 

 

 गर्सत - गर्सत गर्सति गर्सा। हर शहरु गर लखन गर तन्त, गर मन्त, गर आँखें। गर्जनगर्जन बहरु झण्डार, सुनोगी बरुन बन हरुन-हरुन, बस्सी धरुन तू लागू करतार । खेड़े या मोती उजगड़ पड़े, मुझ बुढ़िया दुनियादार । मारु डङ्का, उतरे डङ्का, मत कर लङ्का, करूंगा गुरु का सबक साँचा । बैठी मुनादई रानी, तू लाढ़ करे बसी पानी। पानी प्याऊँ चुल्ल तीन । काया रखं बस्सी को, छीन मगरी का पानी। औलादी चले ये मन्त्र मेरा बैग चले । किशन सुरूपी बन पहरुन निरबस घर जाऊँ। अरे देवता छेतरी! तू जन्नो अमावस की रात में, बावन तेरे बाप का, तू मेरा बाका राई, तू दान मत में मेरा, मैं वचन ना सेऊँ तेरा, काल का डाँट पड़े। बोल का साथी कोन? चन्द्रमा । देवता दीन के साथी होते हैं, दिन के नहीं। काल का डॉट पड़े। बोल का साथी कोन? सूर्य देवता। काल का डाँट पड़े। बोल का साथी कोन ? धरती माता। धरती माता बोल दे, बुलाए दे, बोल देती नहीं। राजा बासक की बैठी कचहड़ी। कोन-कोन बैठे हैं ? एक लाख चीहाड़ों में सवा पहर को आप ही बैठे हैं। अरे चीहाड़ो! बस, कहाँ पाया? बिस महवा, बिस खम्पा, बिस शिबया, बिस बङ्गाल । किशन सुरूपी बन पहरुन, निरबस घर जाऊँ। यह मन्त्र ईश्वर वाचा, मेरे गुरु का सबक साँचा, हो जावे बस गोबर माई।


विधि-

 यह मन्त्र सभी प्रकार के अभिचार-प्रयोगों को जोड़ने व तोडने की क्षमता रखता है। इसे सिद्ध करने की विधि यह है कि किसी विशेष पर्व की रात्रि में साधक अपने इष्ट - देव की पूजार्चना करे। इसके बाद उक्त मन्त्र का108 बार जप करे । मन्त्र सिद्ध हो जाएगा। नित्य-पूजा में इस मन्त्र को 11 या 21 बार अवश्य जप लेना चाहिए। इससे मन्त्र की ऊर्जा बनी रहेगी।

यदि किसी व्यक्ति पर 'अभिचार - प्रयोग' (मन्त्र - मूठ, चौकी, घाल–'शाबर-मन्त्र-प्रयोगों' की विशेष मारण-क्रिया) किया हो, तो उसे इस मन्त्र से तीन दिन तक झाड़ा दे। 'अभिचार-प्रयोग' नष्ट हो जाएगा। अथवा 'अभिचार-प्रयोग से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर एक नए मिट्टी के बड़े पात्र में सात प्रकार की मिठाई, उड़द की दाल के कुछ भल्ले, एक नीम्बू, एक सुई, दो लौंग व थोड़ी-सी मद्य डालकर, उस सब पर सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाए-दीपक में थोड़ा सिन्दूर डाल ले और तब मन्त्र पढ़ते हुए सात बार उतारा कर मन्त्रोच्चारण के बाद कहे  "जैसा आया, वैसा जा । जहाँ से आया, वहाँ जा। जिसने भेजा, उसको जा-खा।" इसके बाद उक्त 'उतारे' को उसी समय चौराहे पर रखवा दे। इस विधि से अभिचार-प्रयोग-कर्ता अपने ही भेजे गए प्रयोग के सङ्कट में पड़ जाएगा। यह कार्य रात्रि में ही करे।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

-->