सर्व-कार्य-सिद्धि-दायक शाबर महा-मन्त्र
छुः छुः यह मन्तर । देखो यह जन्तर ।
बड़ा हय धन्तर। बाले अस्वतर ।
अच्छा हय जन्तर । उछले समन्दर ।
काबिल यह तन्तर । फीके सब बन्दर ।
जे बी हय भणतर । सब ही से बलतर ।
रमुज का मणतर । कयसा हय सुन्दर ।
टाले जो दुःख, रोग, भङ्गे वो नहि भोग ।
जमाया महा-जोग, देखिए जी तम-लोक ।
बड़ा तमासा, मचाया वासा । घल और घमासा, बजता यह तासा।
मारू जो एक काल, धनेगा ऐसी ताल ।
वोह आगिया बैताल है और खतेरयार है।
बड़ाजा हनुमान, करीम सुलेमान ! हकीम जी लुकमान और जीन परस्तान ।
जादू का हफत खान, देवो माजार दान ।
जनी कोहेस्तान, वैसी ओ मस्तान ।
सब बश हो जाए, सब गम खो जाए, दील सुख हंस जाए, सब गम हट जाए।
आवो जी देखो, हंसो और नाचो। एसो हय साचो, नान कहे तमासो।
सज्जने साध्यो, नजर से यहाँ फेंको, सुख-सम्पत्ति ने सन्तति ।
सो कोई देखो। गुरू की शक्ति, मेरी भक्ति ।
फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । सत्य गुरू का मन्त्र साचा ।
sarv kariy shidhi shabar maha mantra |
विधि :
प्रातः काल नित्य-क्रिया से निवृत्त होकर सूर्य नारायण के सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हों और इस मन्त्र का 7 बार जप करें। तब अपना कार्य प्रारम्भ करे। अपनी जो मनेच्छा हो, उसका सदा स्मरण करता रहे । सूर्य देव की कृपा से सर्व - कार्य - सिद्धि होगी। ‘जप'-कर्ता की शक्ति बढ़ेगी। ईप्सित कार्य पूर्ण होंगे।
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