कुबेर भाण्डार (ऋद्धि-सिद्धि) गायत्री
Kubera Mantra |
ॐ गुरु जी! ॐ सोहं - आकाश 'डिम्बी', पाताल कोठी, धर्ती का चुलही करूँ,
आकाश का दीया, नवनाथ,
चौरासी सिद्धों ने बैठकर भण्डार किया।
चढ़े 'डिब्बी', उतरे ऋद्धि - सिद्धि ।
'काली - पीली' शिर जटा, माई पार्वती का उपदेश !
शिव - मुख प्रावे, शक्ति-मुख जावे ।
शक्ति मुख आवे, शिव-मुख जावे ।
हात खङ्ग, 'तंत' की माला, जाप जपे श्री सुरिया बाला ।
ऋद्धि पूरे हर, घृत पूरे गणेश,
अलील पूरे ब्रह्मा, माया पूरे महा-काली,
हीरा पूरे हिङ्गलाज, नव-खण्ड में जोत जगाई !
ऋद्धि लाओ, भाण्डारी भाई ! ऋद्धि खंटे, सदा-शिव का जड़ाव टे ।
ऋद्धि खूटे, माता सीता सतवन्ती का सत्य छूटे ।
ऋद्धि खूटे, पार्वतो का कमल-कङ्गन टूटे ।
ऋद्धि खूटे, मान धान का टूटे । चन्द्र-सूर्य दो देव साखी ।
इतना कुबेर-भाण्डारी गायत्री-जाप सम्पूर्ण भया-नाथ जी आदेश, आदेश !
इसे भी पढ़े
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें