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रविवार, 26 जुलाई 2020

Madar Ka Vriksh | AAk ka Ped

मदार (वानस्पतिक नाम:Calotropis gigantea) एक औषधीय पादप है। इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। वह दूध विष का काम देता है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।

Madar Ka Vriksh | AAk ka Ped

Madar Ka Vriksh | AAk ka Ped 


मदार का वृक्ष


आक के पौधे शुष्क, उसर और ऊँची भूमि में प्रायः सर्वत्र देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। इसे वनस्पतिकपारद भी कहा जाताहै। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उल्दी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।

तंत्र श्रेत्र में श्वेतार्क प्रजाति के मदार की बहुत उपयोगिता बताई गयी है। तीन चार वर्ष से अधिक पुराने वृक्ष की कुछ जड़ें लगभग पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाती है । उसके बाद सावधानी पूर्वक सम्भव हो तो शुभ मुहूर्त में इसको विधिनुसार से निकाला जाता है।उसके बाद इसे दो दिन शुद्ध पानी एवं गंगा जल में रखा जाता है।उसके बाद कारीगर से इस जड़ की माला बनवाई जाती है। 

साधारणतरह से ये माला आप को किसी भी  अत्यंत दुर्लभ है।इसको नियमित धारण करने से त्रिसुखों की प्राप्ति होती है। माला धारण करने से पहले लाल वस्त्र धारण करके लाल आसन, लाल पुष्प, लाल चंदन, से पूजन तथा नैवेद्य में गुड़ तथा खोपरे को अर्पण करके निम्न मंत्र का 108 बार जप करें। उसके बाद माला धारण करे इससे भगवान गणेश की कृपा साधक को अवश्य ही मिलती है।
 मंत्र निम्नलिखीत है।

।।'ऊँ वक्रतुण्डाय हूं ।। 


इसके बाद इसे धारण करने से ऊपरी करा- कराया तंत्र मंत्र भूत प्रेत की बाधा कला जादू का असर भी तुरंत समाप्त हो जाती है। कहते है की इसे धारण करने से स्वयं काल भी पीछा छोड़ देते है। अकालमृत्यु का भय दूर होता है।
कुछ सरल से उपाय सिद्धश्वेतार्कजड़ की माला के यह प्रस्तुत है।

  1. सिद्ध सफेदआक की जड़ की माला रविपुष्य नक्षत्र में लाई गई,चंदन का टुकड़ा,7 लक्ष्मीकोड़ी,लाल कपड़े में लपेटकर घर के तिजोरी में या दुकान के कैशबॉक्स मे रख लें,घरएवं दूकान में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहेगी।
  2. गणेश मंदिर या अपने पूजा घर मे बैठकर प्रतिदिन 'ऊँ गं गणपतये नमः' की एक माला सिध्द स्वेतर्क के जड़ की माला से जप करें, हर क्षेत्र में लाभ एवं धन की प्राप्ति होती है आपकि पुरानी लेनदारिया वापस आने लगती है।
  3. सिद्धश्वेतार्कके जड़ की माला पूजाघर में स्थापित करें। नित्य एक दूर्वाघास अर्पण कर श्रद्धापूर्वक गणपति जी का ध्यान किया करें, प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी तथा सब प्रकार के विघ्नों से आपकी रक्षा होगी।
  4. श्वेतार्क के पत्ते पर अपने शत्रु का नाम इसके ही दूध से लिखकर जमीन में दबा दे, वह शांत रहेगा। इस पत्ते को जल में प्रवाहित कर दें तो शत्रु आपको छोड़कर और कहीं चला जाएगा। इस पत्ते से यदि होम करते हैं तब तो शत्रु का भगवान ही मालिक है ।
  5. श्वेतार्क के फल से निकलने वाली रुई की बत्ती तिल के तेल के दीपक में जलाकर लक्ष्मी साधनाएँ करें, माता लक्ष्मीजी की आप पर कृपा बनी रहेगी ।
  6. सिद्धश्वेतार्क के जड़ की माला, मूंगा, फिटकरी, लहसुन तथा मोर का पंख एक थैली में सिल लें। यह एक नजरबट्टू बन जाएगा। बच्चे के सोते समय चौंकना, डरना, रोना आदि में यह बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।
  7. सिद्धसफेद आक की जड़ कीमाला से गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक नित्य 'ऊँ गं गणपतये नम' मंत्र से पूजा करें, सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होगी तथा मनोवांछित कामनाएं पूर्ण होंगी।
  8. सिद्ध श्वेतार्ककी जड़ की माला से 108 बार 'ऊँ नमो विघ्नहराय गं गणपतये नमः' मंत्र जप करते हुए दूधमिश्रित जल से भगवान गणेश को अर्ध्य देने से , दुष्ट ग्रह शांत होते है एवं मंगलदोष , एवं पित्रदोष समाप्त होजाता है।
  9. सिद्धश्वेतार्क की जड़ की माला से 108 बार 'ऊँ नमो अग्नि रूपाय ह्रीं नमः' मंत्र जपकर गले मे धारण करने से यात्रा में दुर्घटना का भय समाप्त होजाता है।
  10. सिद्धश्वेतार्क की माला से सोमवार के दिन ऊँ जूं सः रुं रुद्राय नमः सः जूँ ऊँ' मंत्र जपते हुए हवन सामग्री से होम किया जय तो रोगो का नाश होने लगेगा घर मे अगर कोई बीमार है तो रोग जाता रहेगा एवं वस्तु के कारण आ रही परेशानियां दूर होंगी
  11. पूर्णिमा की रात्रि सिद्ध सफेद आक की जड़ की माला से 'ऊँ नमः श्वेतगात्रे सर्वलोकं वशंकरि दुष्टानां वशं कुरू कुरू (अमुकं) में वशमानाय स्वाहा' मंत्र का जप करें। अमुक के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम जप करें जिसको वश में करना है तुरंत वशिकरण होता है। 

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