असावरी शाबर मन्त्र
'शाबर' का एक विशेष अङ्ग 'असावरी देवी' है। इनको बिना पूजे 'शाबर' का काम पूरा होना कठिन हो जाता है। इसे लोग 'झमरी शाबर' कहते हैं।
ओर जाने इनके बारे मे:-
यह 'झमरी शाबर' भजन के ढङ्ग से धीमे स्वर में गाकर काम में लाया जाता है। महिलाएँ प्रायः इसे जाँता पीसते समय सीखती हैं और सिद्ध हो जाती हैं। 'धामी' अथवा 'ओझा' भी इस 'शाबर' का प्रयोग करते हैं। 'झुमरी शाबर' की अधीश्वरी असावरी देवी हैं।
असावरी शाबर मन्त्र |
इनका पूजन विशेषतया 'नेपाल' में होता है। पहले 'चक्र-पूजन', फिर मन्त्र को पढ़ना-यह कार्य दिन में नहीं किया जाता। सबसे उत्तम समय है - दस बजे से बारह बजे रात्रि तक । इसी समय इसका प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा किसी को देवी का उत्पात लगा देना या देवी के उत्पात से किसी को छुड़ा देना, अनायास आग लगा देना, गाय-भैंस के बथान में दूध कम कर देना आदि अधिकाधिक कार्य देवी द्वारा किए जाते हैं।
'असावरी मन्त्र' को जाननेवाले जितना ही इसका अध्ययन करेंगे, उतना ही इसके प्रभाव को जान सकेंगे । वैसे इन सब कार्यों को योग्य गुरु से ही सीखना चाहिए।
असावरी शाबर मन्त्र
श्री देवी, काली देवी, बावन्ती देवी, दूनू मिल देवी, झूलना झुमरी, रिचार चिरूप, हसत कमल फूल के पटोर ।
एक दिस देवी काली, एक दिस बावन्ती देवी । बीच में सार-सावर के लागे डोरी ।
झुमरी देखने आए श्रीभगवती जगदम्बा भवानी, ज्वाला - मुखी देवी, अष्टाङ्गी दुर्गा,
सहसर देवी। देखो, झुमरी गावे सारी निसा-राति । गीत सम्हारि मारि के चली मिरतुक लोक ।
घर - धर खोजे सेवक, भगती करै-पुरावे देवी, काली देवी, बावन्ती देवी।
रे रे सेवक ! निर्भय से झुमरी साबर-सबद-बान, कमर कमि के चलावे बात ।
बेटा आवे हनुमन्त, भैरवनाथ धावे। ऐनी के बान्हो, डैनी को बान्हो। राखो ओ झाकै मूसक बान ।
लागे गुनी के गुन, उड़ावे देवी काली, देवी बावन्ती । देवी न ओसे विधना देवा, देवी नाम जा पर।
मेरा नजरि हसन चलाए, तकरा पहिने भारे। सुजङ्गी देवी के दोहाय ।
जा पर मेरा नजरि, ताकर देवी करै रक्षा सम्हार । दोहाय देवी ! काली देवी दोहाय, वावन्ती देवी दोहाय ।
विधि-असावरी देवी अदूल फूल (गुड़हल) और मधुर नैवेद्य (मिठाई) से प्रसन्न होती हैं । कुमारी-भोजन कराए। प्रातः-सायं पूजन करे । सरल काठ या अन्य धूप आदि सभी उपचारों से असावरी देवी का पूजन करे। मारण, सम्मोहन, दूर गए आदमी को बुलाना या कोई भी कार्य इस 'झुमरी शाबर' द्वारा किया जा सकता है, किन्तु योग्य साधक ही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
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