कीलक मन्त
तांत्रिक विद्या के अनुसार भांति-भांति कीलों से तंत्र क्रियाओं द्वारा किसी स्थान को कीलने से अर्थात है वहां पर सुरक्षा कवच को स्थापित करना। बताया जाता है कीलन सुरक्षा की दृष्टि से तो किया ही जाता है परंतु इसके विपरीप ईर्ष्या द्वेष, अनहित की भावना, शत्रुवत व्यवहार आदि के चलत भी स्थान का कीलन कर दिया जाता है।
ओर जाने इनके बारे मे:-
कहने का अर्थ है कि कीलन सुरक्षा कवच । बांधने की क्रिया अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान को सुरक्षा कवच में बाधने को कीलन या स्तम्भन कहते हैं
मंत्र
जमीं कीलों, आसमान कीलों, सर्व-कीलों।
तेरा बाबा माई कीलों, तेरा ताऊ ताई कीलों।
जिन तू गोद खिलाया कीलों। तेरी बहिन भानजी कीलों।
जिन सङ्ग तू खेला-खिलायां कीलों।
तेरी राह - वाट, जहाँ से तू फिर आया कीलों ।
कीलों तेरी ताल पोखरी, जहाँ से जल पी आया ।
दुहाई गोरखनाथ की।
रानी कज्जरा के श्राप मारे जाओ, जो फिर मुँह फैलाओ।
विधि--ग्रहण इत्यादि में उक्त मन्त्र 1000 बार 'जप' कर सिद्ध कर ले । फिर भूत-बाधा-ग्रस्त व्यक्ति के ऊपर नींबू में मन्त्र से कील ठोकने से लाभ होता है।
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