वाराही तंत्र का प्रयोग
सब तंत्रों का निर्मूलन करने वाला वाराही तंत्र का प्रयोग । जय माँ वाराही
पहले तो जान ले कि तंत्र की काट करने वाले प्रतितंत्र कब सफल होते है ।
(1) किसी ने मात्र ईर्ष्या वश कुछ क्रिया की/करवाई हो । और आपके नुकसान से उसका स्वार्थ पूरा होता हो ।
(2)अज्ञानता वश किसी तंत्र के चक्कर में फंस गए हो । आधी अधूरी जानकारी पे कोई तंत्र का अनुष्ठान किया हो और परेशानी शुरू हो गई हो । और छूटना चाहते हो ।
(3)अनजाने में किसी ऐसी जगह गए हो जहां तंत्र का अनुष्ठान हुआ हो और वहीं से कोई बाधा- परेशानी शुरू हो गई हो ।
(4)अगर आपने किसी निर्बल को सताया हो , और वो प्रतिकार करने के लिए तंत्रकी सहायता लिया हो तो ये प्रयोग सफल नहीं होगा , क्योंकि उस निर्बल की हाय और दर्द किसी भी प्रयोग से बड़े होते है, स्वयं परमात्मा उसकी मदद कर रहा होता है ।
(5) ग्रह बाधा/ प्रेत बाधा /पितृ बाधा में यह यह प्रयोग ज्यादातर काम नहीं करता है ।
Maa Varahi- varahi tantra priyog |
Mantra
ॐ ह्रिं श्रीं नमो भगवती वाराही वैष्णवी सर्व तंत्रानुतंत्रम् छिन्द छिन्द भिंद भिंद सुआरोग्यम सुऐश्वर्यम सुबुद्धिम् देहि देहि परमेश्वरी चक्रधारिणीये श्रीं ह्रिं स्वाहा ।
प्रयोग
किसी भी प्रकार के किये-कराए गए तंत्र प्रयोगों की काट माँ वाराही की उपासना से हो जाती है । किसी भी रविवार को किसी शूकर(pig) को रोटी खिलाये , और भगवती वाराही से प्रार्थना करें कि वो मंत्र को चैतन्य बनायें ।
मध्याह्न के समय जब सूर्य माथे पे हो औऱ धूप मिले ऐसे किसी खुली जगह पे पूर्व दिशा की तरफ मुख करके खड़े हो जाए। इसी मंत्र के उच्चारण के साथ मुट्ठी भर माटी जमीन से उठाके अपने सर पर फेरकर वापस भूमि पे रख देने से सब तंत्र निर्मूल हो जाता है । घर आके पहने हुए वस्त्रों के साथ ही स्नान कर लें । प्रयोग शुरू करने के बाद मौन धारण करे और स्नान करने से पहले कुछ ना बोले ।
घर का कोई भी व्यक्ति (स्त्री/पुरुष कोई भी )ये प्रयोग करता है तो पूरे घर पर किया गया कोई भी तंत्र प्रयोग निर्मूल हो जाता है । इसलिए घर के हर व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से करने की जरूरत नहीं है । इस केलिए कोई विधि विशेष की जरूरत नहीं है । खुद ही खुद पर प्रयोग कर सकते है ।
किसी भी स्थिति में इसका प्रयोग अन्य पर नहीं किया जा सकता । अगर कोई तंत्रविद इस मंत्र का स्मरण भी करता है तो उसका खुद अपना सिद्ध किया हुआ सब तंत्र भी निर्मूल हो जाता है । किसी का भला करने हेतु निस्वार्थ भाव से भी ये प्रयोग अन्य पर नहीं करना चाहिए । अन्य पर प्रयोग वर्जित ही है । इसलिए तंत्रविद कृपया इसका उच्चारण करने से भी दूर रहें । अगर प्रयोग से सफलता लगे तो विष्णु या कृष्ण मंदिर में यथाशक्ति जो ठीक लगे वो प्रसाद कर देना चाहिए। । और शुकरो (Pigs) को रोटी अवश्य खिलाये ।
मुसीबत में पड़े लोग अपनी खुद की मदद खुद कर सके इस हेतु ये प्रयोग यहाँ दिया जा रहा है । बाकी तो हरि इच्छा ही बलवान होती है । जीवन में आने वाली हर मुसीबत किसी का किया कराया ही नहीं होती । खुद के कर्मों का फल भी होती है । जिसे भुगतना ही पड़ता है ।
नोट:- ओर इन से सबन्ध मन्त्रो को जाने
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