भैरव जी की खप्पर सिद्धि साधना विधान
मुख्य रूप से भैरव को रविवार को दूध की खीर, सोमवार को मोदक (लड्डू), मंगलवार को घी-गुड़ से बनी हुई लापसी, बुधवार को दही-चिवड़ा, गुरुवार को बेसन के लड्डू, शुक्रवार को भुने हुए चने तथा शनिवार को उड़द के बने हुए पकौड़े का नैवेद्य लगाते हैं, इसके अतिरिक्त जलेबी, सेव, तले हुए पापड़ आदिका नैवेद्य लगाते हैं भैरव साधना मुख्यतः रात्रि में ही सम्पन्न की जाती है। भैरव साधना में केवल तेल के दीपक का ही प्रयोग किया जाता है, इसके अतिरिक्त गुग्गुल, धूप-अगरबत्ती जलाई जाती है।
khappar siddhi mantra |
भैरव साधना में केवल ‘काली हकीक माला’ का ही प्रयोग किया जाता है इसके अलावा रुद्राक्ष माला का भी प्रयोग किया जाता है यह साधना सरल, उपयोगी और अचूक फलप्रद मानी गई है, कहा जाता है कि भैरव साधना का फल हाथों-हाथ प्राप्त होता है भैरव साधना सकाम्य साधना है, अतः कामना के साथ ही इस प्रकार की साधना की जानी चाहिए।भैरव जी की खप्पर साधना से विशेष लाभ और अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है मिट्टी के घड़े के फोड़े हुए अर्ध खंड को सामान्यतः खप्पर कहते हैं।
ओर जाने इनके बारे मे:-
किंतु इसका तात्पर्य योगसाधकों, औघड़ों तथा कापालिकों द्वारा प्रयुक्त खाद्यपात्र के अर्थ में भी माना जाता है, जो नरकपाल निर्मित होता था। खप्पर सिद्धि जिसका विवरण केवल गुरु शिष्य परंपरा में ही प्राप्त होता हैं खप्पर मंत्र की सिद्धि के बाद खप्पर का प्रयोग कैसे करना है यह सिद्ध गुरु बताते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें